8 साल पहले, 2017 में जब टॉयलेट: एक प्रेम कथा रिलीज़ हुई, तो किसी ने सोचा भी नहीं था कि बॉलीवुड एक दिन टॉयलेट जैसे मुद्दे पर फिल्मबना देगा — और वो भी एक लव स्टोरी के साथ!
अक्षय कुमार और भूमि पेडनेकर की ये फिल्म ना सिर्फ एक प्रेम कहानी थी, बल्कि समाज की एक बड़ी समस्या को सामने लेकर आई — खुले मेंशौच। जब लोग टॉयलेट के बारे में बात करने से भी कतराते थे, तब इस फिल्म ने साफ-सफाई को लेकर एक नई चर्चा शुरू की।
रिलायंस एंटेररटेन्मेंट ने फिल्म की 8वीं सालगिरह पर लिखा, “ये एक ऐसी प्रेम कहानी थी, जिसने हमें एक अहम सामाजिक मुद्दे से जुड़ने पर मजबूरकिया।” और ये बात बिल्कुल सही है।
फिल्म ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान को सपोर्ट किया। इसके बाद सरकार ने करीब 10 करोड़ से ज्यादा टॉयलेट बनवाए। वर्ल्ड बैंककी रिपोर्ट के मुताबिक, खुले में शौच में 90% की गिरावट आई और एक लांसेट स्टडी में बताया गया कि इससे ग्रामीण इलाकों में बच्चों की मौतों में30% की कमी आई।
यह फिल्म सिर्फ सिनेमाघरों तक सीमित नहीं रही — यह एक आंदोलन बन गई। बिल गेट्स ने भी फिल्म की तारीफ की। और अक्षय कुमार ने तो खुदमध्य प्रदेश में जाकर टॉयलेट खुदाई तक की — जो आमतौर पर सितारे नहीं करते।
हां, कुछ लोगों ने फिल्म को थोड़ा “प्रवचन जैसा” कहा, लेकिन इसकी सोशल इम्पैक्ट को कोई नजर-अंदाज नहीं कर सकता।
आज, 8 साल बाद भी, टॉयलेट: एक प्रेम कथा हमें याद दिलाती है कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि बदलाव लाने का ज़रिया भी बन सकता है।और इस बदलाव की कहानी आज भी उतनी ही ताज़ा लगती है।
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