ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान इस बार भयानक गर्मी और अत्यधिक भीड़ के कारण अफरा-तफरी का माहौल बन गया। शुक्रवार को हुई इस घटना में करीब 625 श्रद्धालु बीमार पड़ गए। इनमें से कई को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जबकि अधिकतर को प्राथमिक उपचार देकर छुट्टी दे दी गई। हालांकि किसी के मौत की खबर नहीं है, लेकिन इस घटनाक्रम ने प्रशासन और आयोजकों के प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
गर्मी और उमस बनी सबसे बड़ी वजह
पुरी के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. किशोर सतपथी ने बताया कि अधिकतर श्रद्धालुओं को डिहाइड्रेशन, उल्टी, चक्कर आना और बेहोशी की शिकायत थी। इन्हें तुरंत पुरी जिला अस्पताल, नगर अस्पताल और अन्य अस्थायी मेडिकल कैम्प्स में भर्ती किया गया। डॉक्टरों की टीम ने बताया कि उमस भरे मौसम और पानी की कमी के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ी।
ओडिशा में इन दिनों तापमान 42 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना हुआ है, जिससे रथ यात्रा जैसे विशाल आयोजनों में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
भगवान बलभद्र के रथ के पास लगी भीड़
रथ यात्रा के दौरान भगवान बलभद्र का रथ ‘तलध्वज’ जब बालगांडी इलाके में एक घंटे से अधिक समय तक रुका रहा, तो वहाँ भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। रथ आगे नहीं बढ़ने के कारण श्रद्धालु एक जगह पर फंस गए। इसी दौरान भगदड़ जैसी स्थिति बनी और कई लोग गिरकर घायल हो गए। पुलिस, एनडीआरएफ, स्थानीय स्वयंसेवी संस्थाओं और प्रशासन की टीम ने तत्परता दिखाते हुए घायलों को अस्पताल पहुंचाया।
ओडिशा सरकार की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य मंत्री मुकेश महालिंग ने कहा कि सरकार ने पहले ही पर्याप्त चिकित्सा इंतजाम किए थे, लेकिन भीषण गर्मी और उमस ने स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया। मंत्री ने बताया कि पुरी जिला अस्पताल में 70 से अधिक लोगों को भर्ती किया गया, जिनमें से 7 की हालत गंभीर है, लेकिन नियंत्रण में है।
सरकार ने यह भी कहा कि रथ यात्रा के दौरान कुल 40 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स, 100 एंबुलेंस, और 500 से ज्यादा मेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया था। इसके अलावा, पूरे मार्ग पर पानी की व्यवस्था और कूलिंग स्टेशन भी बनाए गए थे।
रथ यात्रा में हर साल जुटती है लाखों की भीड़
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक यात्राओं में से एक मानी जाती है। हर साल इस यात्रा में 10 लाख से ज्यादा श्रद्धालु भाग लेते हैं। भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को रथ में विराजमान कर मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक खींचा जाता है। यह यात्रा धार्मिक आस्था, भक्ति और उत्सव का प्रतीक मानी जाती है।
लेकिन इस साल मौसम ने भक्ति की इस परंपरा में कठिनाई खड़ी कर दी। प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद लोगों की तबीयत बिगड़ना एक चिंता का विषय बन गया है।
सुरक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद आम लोगों और सामाजिक संगठनों ने बेहतर प्रबंधन की मांग की है। रथ के लंबे समय तक रुके रहने और भीड़ को नियंत्रित न कर पाने की आलोचना हो रही है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि इतनी भीड़ की स्थिति में तापमान, पीने के पानी और मेडिकल सपोर्ट के वैकल्पिक इंतजाम और अधिक मजबूत क्यों नहीं किए गए।
निष्कर्ष
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा आस्था और परंपरा का भव्य उत्सव है, लेकिन इस साल गर्मी और भीड़भाड़ ने इसे चुनौतीपूर्ण बना दिया। 625 श्रद्धालुओं की तबीयत बिगड़ना एक चेतावनी है कि धार्मिक आयोजनों में अब मौसम, जनसंख्या और संसाधनों की योजना को ज्यादा संवेदनशीलता से देखने की जरूरत है। प्रशासन को भविष्य में ऐसे आयोजनों के लिए ज्यादा प्रभावी और आधुनिक व्यवस्था करनी होगी ताकि भक्ति में किसी की जान जोखिम में न पड़े।