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अहमदाबाद प्लेन क्रैश हादसे के बाद बोइंग 787 की 66 उड़ानें कैंसिल, DGCA ने विमान कंपनियों से मांगा जवाब

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Posted On:Wednesday, June 18, 2025

अहमदाबाद प्लेन क्रैश हादसे के बाद विमानन सुरक्षा को लेकर देशभर में चिंताएं बढ़ गई हैं। इसी कड़ी में नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने मंगलवार को एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक अहम बैठक की। इस बैठक में DGCA ने दोनों एयरलाइंस को विमानन सुरक्षा और तकनीकी खामियों की जांच के संबंध में कड़े निर्देश दिए। DGCA ने दोनों कंपनियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है जिसमें विमानों में आ रही तकनीकी खराबियों का समग्र विवरण हो। इसके अलावा, DGCA ने स्पष्ट आदेश दिया है कि उड़ान से पहले विमानों की हर संभव तकनीकी जांच सावधानी से की जाए ताकि भविष्य में कोई हादसा न हो।

रोजाना 1000 से अधिक उड़ानें संचालित होती हैं

DGCA के अनुसार, देश में एअर इंडिया और एअर इंडिया एक्सप्रेस मिलाकर प्रतिदिन 1000 से अधिक उड़ानें संचालित करती हैं। इन उड़ानों के दौरान विमानों की नियमित तकनीकी जांच की जाती है ताकि किसी भी तरह की तकनीकी खराबी का समय रहते पता चल सके। लेकिन अहमदाबाद क्रैश हादसे के बाद एयरलाइंस की विमानों में बार-बार तकनीकी खराबी की खबरें सामने आ रही हैं, जिससे यात्रियों की चिंता बढ़ी है। DGCA ने इस संदर्भ में विमान कंपनियों को निर्देश दिया कि वे विमान की जांच की प्रक्रिया और गुणवत्ता पर खास ध्यान दें और किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतें।

बैठक के दौरान DGCA अधिकारियों ने एयरलाइंस से कहा कि वह तकनीकी खराबियों पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें, जिसमें खराबी के प्रकार, कारण और उसे सुधारने के लिए किए गए उपाय शामिल हों। DGCA ने इस रिपोर्ट को प्राथमिकता के आधार पर जल्द से जल्द प्रस्तुत करने को कहा है ताकि आवश्यक सुधारात्मक कदम समय पर उठाए जा सकें।

एअर इंडिया के 34 में से 28 विमानों की जांच पूरी

एअर इंडिया ने DGCA को सूचित किया है कि कंपनी के बेड़े में शामिल कुल 34 बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों में से 28 विमानों की तकनीकी जांच पूरी हो चुकी है। बाकी विमानों की जांच भी जल्द पूरी कर ली जाएगी। जांच पूरी होने के बाद विस्तृत रिपोर्ट भी DGCA के समक्ष प्रस्तुत की जाएगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही DGCA विमानन सुरक्षा के लिए आगे की रणनीति बनाएगा।

यह महत्वपूर्ण है कि ऐसी जांच विमानन सुरक्षा के मानकों को और कड़ा बनाए और यात्रियों का भरोसा बहाल करे। DGCA और एयरलाइंस के बीच इस तरह की पारदर्शिता यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बेहद जरूरी है।

पायलट और डिस्पैचर की नियुक्ति एवं रिकॉर्ड की जांच

केवल विमान की तकनीकी जांच ही नहीं, DGCA ने पायलट और फ्लाइट डिस्पैचर की नियुक्ति प्रक्रिया और उनके रिकॉर्ड की भी समीक्षा करने का निर्णय लिया है। DGCA ने दोनों एयरलाइंस से पूछा है कि पायलटों और डिस्पैचर की नियुक्ति कैसे की जाती है, उनके प्रशिक्षण, कार्य प्रणाली और सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी है।

इस संदर्भ में एयरलाइंस ने भी आश्वासन दिया है कि वे जल्द ही इस संबंध में भी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। पायलट और डिस्पैचर विमान संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए उनकी योग्यता, अनुभव और कामकाज की जांच सुरक्षा के लिहाज से अनिवार्य है। DGCA का यह कदम विमानन सुरक्षा में समग्र सुधार की दिशा में एक सकारात्मक पहल माना जा रहा है।

DGCA का एअर इंडिया को लेकर बड़ा बयान

DGCA ने बैठक के बाद एक बयान जारी किया जिसमें अहमदाबाद प्लेन क्रैश के बाद एअर इंडिया की 66 उड़ानों को रद्द करने की जानकारी दी गई है। हालांकि जांच के दौरान कंपनी के बेड़े में मौजूद विमानों और उनके उपकरणों की सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही या तकनीकी कमी नहीं पाई गई है। DGCA ने स्पष्ट किया कि बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमानों की सुरक्षा मानकों के अनुसार जांच की गई है और वे सुरक्षित हैं।

इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि तकनीकी सुरक्षा के लिहाज से विमान में कोई गंभीर खामी नहीं है, लेकिन परिचालन और प्रबंधन स्तर पर सुधार की आवश्यकता बनी हुई है। DGCA ने विमान कंपनियों को आंतरिक समन्वय मजबूत करने और तकनीकी समस्याओं का समय पर समाधान निकालने की सलाह दी है।

अहमदाबाद क्रैश हादसे का प्रभाव

अहमदाबाद में हुए इस दर्दनाक विमान हादसे ने पूरे देश के विमानन क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया है। इस हादसे में 242 में से 241 यात्रियों की मौत हो गई, जिससे न केवल परिवारों को अपूरणीय क्षति हुई बल्कि पूरे विमानन क्षेत्र में सुरक्षा और जांच प्रणालियों पर भी सवाल उठे। विमान हादसे के बाद DGCA की जांच और एयरलाइंस की तकनीकी जांच प्रक्रिया तेज कर दी गई है।

यह हादसा भारत के विमानन सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत बनाने का अवसर भी प्रदान करता है। DGCA और एयरलाइंस को मिलकर तकनीकी, परिचालन और मानव संसाधन स्तर पर व्यापक सुधार करने होंगे ताकि यात्रियों का विश्वास वापस हासिल किया जा सके।

भविष्य की चुनौतियां और समाधान

इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल तकनीकी उपकरणों की जांच पर्याप्त नहीं है। विमानन सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पायलट, तकनीशियन, डिस्पैचर और ग्राउंड स्टाफ के बीच बेहतर समन्वय, समय-समय पर प्रशिक्षण और प्रबंधन की पारदर्शिता भी आवश्यक है।

DGCA को चाहिए कि वह कड़े नियामक प्रावधानों के साथ-साथ एयरलाइंस की नियमित ऑडिटिंग करे और सुरक्षा नियमों के उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, यात्रियों के लिए भी सूचना प्रणाली को बेहतर बनाया जाना चाहिए ताकि वे किसी भी उड़ान संबंधी देरी या समस्या के समय पूरी जानकारी प्राप्त कर सकें।

निष्कर्ष

अहमदाबाद विमान दुर्घटना ने भारतीय विमानन क्षेत्र की सुरक्षा प्रणालियों की कमियों को उजागर किया है। DGCA की सक्रियता और एयरलाइंस की जवाबदेही इस क्षेत्र को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। तकनीकी जांच, पायलट और परिचालन स्टाफ की योग्यता और बेहतर प्रबंधन से ही विमानन सुरक्षा की उच्चतम स्तर हासिल की जा सकती है। यात्रियों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए और इसके लिए सभी संबंधित पक्षों को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में कोई भी विमान दुर्घटना न हो और विमानन उद्योग को पुनः विश्वसनीयता प्राप्त हो सके।


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