मुंबई, 21 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को घोषणा की कि राज्य में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के लिए अब नया आधार कार्ड जारी नहीं किया जाएगा। उन्होंने बताया कि असम कैबिनेट ने यह निर्णय अवैध प्रवासियों को भारतीय नागरिकता हासिल करने से रोकने के उद्देश्य से लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन वयस्कों के पास अभी तक आधार कार्ड नहीं है, उन्हें आवेदन के लिए केवल एक महीने का समय मिलेगा। हालांकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और चाय जनजाति के लोग एक वर्ष तक आधार कार्ड बनवा सकेंगे। सरकार का कहना है कि राज्य में अधिकतर वर्गों को आधार कार्ड पहले ही मिल चुका है। अब से केवल डिप्टी कमिश्नर के स्तर पर ही बेहद खास परिस्थितियों में नया आधार कार्ड जारी किया जाएगा, ताकि अवैध घुसपैठियों की ओर से आने वाले आवेदनों पर पूरी तरह निगरानी रखी जा सके। मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा से लगातार वापस भेजा जा रहा है और अब यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कोई भी विदेशी असम आकर आधार कार्ड बनवाकर खुद को भारतीय नागरिक साबित न कर सके।
इससे पहले, अक्टूबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट ने सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6A को वैध ठहराया था। यह धारा 1985 में असम समझौते के तहत जोड़ी गई थी। इसके अनुसार, 1 जनवरी 1966 से 25 मार्च 1971 के बीच असम आने वाले बांग्लादेशी प्रवासी भारतीय नागरिकता के पात्र हैं। लेकिन 25 मार्च 1971 के बाद राज्य में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकता के हकदार नहीं होंगे। इस फैसले पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ सहित चार जजों ने सहमति जताई थी, जबकि जस्टिस जेबी पारदीवाला ने असहमति व्यक्त की थी। सिटीजनशिप एक्ट 1955 की धारा 6A विदेशी मूल के उन लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान करती है, जो असम में उस तय अवधि के दौरान आए थे। यह प्रावधान भारत सरकार और असम आंदोलन के नेताओं के बीच हुए समझौते का हिस्सा था। हालांकि असम के कुछ स्वदेशी समूहों का कहना है कि इस प्रावधान ने अवैध प्रवासियों को वैध बना दिया और राज्य की पहचान को खतरे में डाल दिया।