दुनिया के सबसे ताकतवर रॉकेट स्टारशिप की नौंवी टेस्ट फ्लाइट बुधवार तड़के टेक्सास के बोका चिका से लॉन्च की गई, लेकिन लॉन्च के महज 20 मिनट बाद ही यह उड़ान विफल हो गई। यह उड़ान एलन मस्क के महत्वाकांक्षी ‘मल्टीप्लैनेटरी लाइफ’ मिशन का एक और प्रयास था, लेकिन एक बार फिर तकनीकी गड़बड़ी इस सपने के रास्ते में बाधा बन गई। इंजन में खराबी और फ्यूल लीक की वजह से रॉकेट का ऊपरी हिस्सा बिखर गया और स्टारशिप धरती पर लौटने से पहले ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
बोका चिका से लॉन्च, मिशन को मिली पूरी दुनिया की नज़रें
यह ऐतिहासिक लॉन्च बुधवार तड़के भारतीय समयानुसार 5 बजे स्पेसएक्स के बोका चिका बीच के पास स्थित स्टारबेस से किया गया। इस मिशन को “स्टारशिप फ्लाइट 9” नाम दिया गया था। इसमें सुपर हेवी बूस्टर और शिप 35 का उपयोग किया गया, जिनमें से सुपर हेवी बूस्टर इससे पहले फ्लाइट 7 में भी उड़ चुका था। एलन मस्क और उनकी टीम इस रॉकेट के ज़रिए चाँद और मंगल पर इंसानों को बसाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाने की कोशिश कर रहे थे।
लॉन्च से पहले मस्क ने उम्मीद जताई थी कि स्टारशिप छह महीने में मंगल की यात्रा करने में सक्षम हो सकता है, जो पहले की कल्पना से कहीं ज्यादा तेज़ है। इसीलिए इस टेस्ट को पूरी दुनिया में बड़े उत्साह और उम्मीदों के साथ देखा जा रहा था।
क्रैश से पहले पूरी तरह अनियंत्रित हुआ रॉकेट
उड़ान की शुरुआत तो सफल रही और रॉकेट ने कई महत्वपूर्ण तकनीकी पड़ाव सफलतापूर्वक पार किए, लेकिन कुछ ही समय बाद यह अनियंत्रित हो गया। लॉन्च के करीब 20 मिनट बाद स्टारशिप ने अपना संतुलन खो दिया और जैसे ही यह पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर रहा था, इसका ऊपरी हिस्सा विस्फोट के साथ नष्ट हो गया।
स्पेसएक्स ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि रॉकेट को एक "तेज़, अनिर्धारित विघटन" का अनुभव हुआ। इसका मतलब है कि रॉकेट की संरचना धरती पर लौटने से पहले ही बिखर गई। स्टारशिप को हिंद महासागर में लैंड कराने की योजना थी, लेकिन वह मुकाम तक नहीं पहुंच सका।
स्पेसएक्स का आधिकारिक बयान: 'टेस्ट उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा'
स्टारशिप के विफल होने के बाद स्पेसएक्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट कर कहा:
“फ्लाइट टेस्ट उम्मीद के मुताबिक सफल नहीं रहा। स्टारशिप को एक तेज़ अनिर्धारित विघटन का अनुभव हुआ। टीमें डेटा की समीक्षा कर रही हैं और हम अगले उड़ान परीक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं। इस तरह के परीक्षणों से जो सीखा जाता है, वही भविष्य की सफलता की नींव रखता है।”
स्पेसएक्स का यह रुख बताता है कि वे इसे एक और सीखने वाले चरण के रूप में देख रहे हैं और अगली टेस्ट उड़ानों की तैयारी जारी रहेगी।
पहले भी हो चुकी हैं विफलताएं
गौरतलब है कि इससे पहले की दो उड़ानें भी पूरी तरह विफल रही थीं। दोनों बार रॉकेट आग के गोले में बदल गया था। तीसरी, चौथी और पांचवीं उड़ानें कुछ हद तक सफल रही थीं, लेकिन अभी तक कोई भी उड़ान पूरी तरह से सफल नहीं मानी गई है।
स्पेसएक्स हर उड़ान से सीखकर तकनीकी सुधार कर रहा है, लेकिन इतनी बार की असफलताओं ने लोगों के मन में संदेह भी पैदा कर दिए हैं कि क्या मस्क का यह सपना वास्तव में संभव है या सिर्फ एक आदर्श कल्पना।
दुनिया का सबसे ताकतवर और अनोखा रॉकेट
स्टारशिप को दुनिया का सबसे बड़ा और ताकतवर लॉन्च व्हीकल माना जाता है। यह एक रीयूजेबल सिस्टम है जिसमें सुपर हेवी बूस्टर और स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट शामिल हैं। इसका उद्देश्य सिर्फ चंद्रमा और मंगल तक लोगों और माल को पहुंचाना ही नहीं है, बल्कि पृथ्वी पर पॉइंट-टू-पॉइंट ट्रांसपोर्ट भी करना है — यानी दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में यात्रा करना संभव बनाना।
अगर यह मिशन सफल होता, तो अंतरिक्ष यात्रा का चेहरा हमेशा के लिए बदल सकता था। मगर फिलहाल, स्टारशिप का क्रैश इस सपने के रास्ते में एक और रुकावट बनकर सामने आया है।
निष्कर्ष: मस्क का सपना अब भी अधूरा
एलन मस्क की कल्पना है कि इंसान केवल पृथ्वी तक सीमित न रहे, बल्कि चांद और मंगल तक भी बसे। लेकिन टेक्नोलॉजी की सीमाएं बार-बार इस सपने को चुनौती दे रही हैं। स्टारशिप फ्लाइट 9 की विफलता ने यह साफ कर दिया है कि अभी मंज़िल दूर है। हालांकि, हर असफलता के साथ स्पेसएक्स कुछ नया सीख रहा है, और भविष्य में यह सपना एक दिन ज़रूर हकीकत में बदलेगा — लेकिन आज नहीं।