अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। गुरुवार को उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच जारी संघर्ष में उन्होंने सीजफायर (युद्ध विराम) कराने में मदद की है, लेकिन मध्यस्थता का दावा नहीं करते।
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रतिक्रिया
अमेरिकी विदेश विभाग के डिप्टी प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने कहा कि हम दोनों पक्षों के बीच युद्ध विराम देखकर खुश हैं और चाहते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे वार्ता हो। उन्होंने ट्रंप को शांति का दूत बताया और उम्मीद जताई कि सीजफायर बरकरार रहेगा।
दोहा में सैनिकों को संबोधित करते हुए ट्रंप का बयान
दोहा स्थित अल उदीद एयरबेस पर अमेरिकी सैनिकों को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, "ये लोग लगभग 1000 साल से लड़ते आ रहे हैं। मैंने कहा कि चलो, मैं इस मामले को सुलझाता हूं।" उन्होंने बताया कि उन्होंने दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ावा देने की बात की ताकि युद्ध के बजाय व्यापार हो।
ट्रंप के दावों का विरोध
ट्रंप ने 10 मई को दावा किया था कि उन्होंने भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की, लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। ट्रंप ने 13 मई को कहा था कि उन्होंने सीजफायर के लिए व्यापार का उपयोग किया, जिससे दोनों देशों को लाभ हो।
ट्रंप का आशावाद
15 मई को कतर में ट्रंप ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि मामला सुलझ गया है। पाकिस्तान और भारत दोनों खुश थे। मुझे लगता है कि वे सही रास्ते पर हैं।"
निष्कर्ष
ट्रंप के बयान ने भारत-पाक संबंधों को लेकर एक बार फिर हलचल मचा दी है। जबकि भारत सरकार ने मध्यस्थता से इनकार किया है, अमेरिका का शांति प्रयास जारी रहने का संदेश दिया जा रहा है। अब यह देखना होगा कि दोनों पड़ोसी देश इस शांति पहल को कितना सकारात्मक रूप देते हैं।
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