भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर से धमाकों की आवाज सुनाई दी है। यह घटना पाकिस्तान के लाहौर एयरपोर्ट के पास हुई, जहां एक के बाद एक तीन धमाके सुनाई दिए। धमाकों के बाद पूरे शहर में धुएं का गुबार फैल गया और सायरन बजने लगे, जिससे पूरे क्षेत्र में अफरातफरी मच गई। यह धमाके लाहौर के वाल्टन एयरपोर्ट के पास स्थित गोपाल नगर और नसीराबाद इलाके में हुए। इसके बाद एयरपोर्ट अथॉरिटी ने तुरंत लाहौर और इस्लामाबाद एयरपोर्ट पर ऑपरेशन बंद करने का आदेश दिया। इन धमाकों को लेकर कुछ सूत्रों ने दावा किया है कि यह हमला ड्रोन से किया गया था।
धमाकों के बाद की स्थिति और चश्मदीद गवाही
धमाकों के बाद लाहौर में स्थिति अत्यधिक तनावपूर्ण हो गई। चश्मदीदों का कहना है कि धमाकों में मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया था। धमाके पुराने एयरपोर्ट के पास नेवी कॉम्प्लेक्स के ऊपर हुए थे, जिससे आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही मची। घटना के तुरंत बाद सायरन बजने लगे और लोग घरों से बाहर निकल आए। हालांकि, अभी तक इस हमले में किसी के हताहत होने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं आई है। इन धमाकों ने पाकिस्तान में एक बार फिर से भय और अनिश्चितता का माहौल पैदा कर दिया है, खासकर ऐसे समय में जब पाकिस्तान पहले से ही आतंकवाद और सैन्य हमलों से जूझ रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान में बढ़ी चिंता
यह धमाका ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की सेना और सरकार के लिए एक और चुनौती बन कर सामने आया है। 6 और 7 मई की मध्य रात्रि में भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में एयर स्ट्राइक की थी, जिसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान में छिपे आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट करना था। इस एयर स्ट्राइक में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे, और भारतीय सेना ने 25 मिनट के ऑपरेशन में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी समूहों के मुख्यालय को नष्ट कर दिया था।
भारत की यह सख्त कार्रवाई पाकिस्तान के लिए एक बड़ा संदेश थी, और इसके बाद से पाकिस्तान की स्थिति और भी कमजोर हो गई है। पाकिस्तान की सेना की नींद उड़ी हुई है, और वह भारत की इस कार्रवाई के बाद अपनी सैन्य और सुरक्षा नीति पर पुनर्विचार करने पर मजबूर हो गया है। इसके बाद से पाकिस्तान ने अपनी एयरस्पेस को फिर से बंद किया और सीमा पर लगातार गोलीबारी की घटनाएं बढ़ गईं।
भारत के एयरपोर्ट बंद करने के फैसले का असर
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत सरकार ने भी अपनी सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए 10 मई तक 21 एयरपोर्ट्स को बंद करने का फैसला लिया है। यह कदम विशेष रूप से उत्तर भारत के एयरपोर्ट्स के लिए लिया गया है, ताकि किसी भी तरह की आपातकालीन स्थिति से बचा जा सके। पाकिस्तान की ओर से लगातार सीजफायर उल्लंघन की घटनाएं सामने आ रही हैं, और रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में भारत ने अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया है।
पाकिस्तान की सेना और प्रशासन की स्थिति
पाकिस्तान की सेना और प्रशासन इस समय एक कठिन दौर से गुजर रहे हैं। पहलगाम हमले के बाद से ही पाकिस्तान की स्थिति काफी कमजोर हो गई है। भारत के ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को न केवल सैन्य दृष्टिकोण से नुकसान पहुँचाया, बल्कि इसके साथ ही पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ रणनीति पर भी सवालिया निशान लग गया है। पाकिस्तान की सेना की कठिनाई इस बात से और भी बढ़ गई है कि उसे अब दो मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ रही है—एक ओर भारत के खिलाफ और दूसरी ओर बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे स्वतंत्रता संगठनों के खिलाफ।
हाल ही में बलूचिस्तान में BLA द्वारा पाकिस्तानी सेना के खिलाफ लगातार हमले किए जा रहे हैं, जिनमें कई पाकिस्तानी सैनिक मारे गए हैं। इन हमलों के कारण पाकिस्तान की सेना के लिए अपनी सैन्य रणनीतियों को दोहराना और अपने संसाधनों को संतुलित करना मुश्किल हो गया है।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव
पाकिस्तान के लिए यह समय और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है, क्योंकि भारतीय सेना ने अब तक की अपनी सबसे बड़ी और प्रभावशाली सैन्य कार्रवाई की है, जिसमें आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट कर दिया गया। पाकिस्तान की तरफ से लगातार भारत के खिलाफ झूठे दावे किए जा रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि पाकिस्तान अब खुद को बचाने के लिए संघर्ष कर रहा है।
पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद और लाहौर एयरपोर्ट पर हुए धमाकों के बाद पाकिस्तान के भीतर दहशत और तनाव का माहौल बना हुआ है। पाकिस्तान को अब यह समझ में आ गया है कि भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी रणनीति में कोई ढील नहीं दी है, और इस स्थिति में पाकिस्तान के लिए अपने कड़े कदम उठाने के अलावा कोई और विकल्प नहीं बचा है।
निष्कर्ष
पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक और बड़ा धमाका यह साबित करता है कि क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति गंभीर रूप से बिगड़ चुकी है। भारत ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है, वहीं पाकिस्तान के लिए अपनी सैन्य और सुरक्षा नीति को लेकर कठिन निर्णय लेने का समय आ गया है। पाकिस्तान को अब दोनों मोर्चों पर अपनी लड़ाई लड़नी होगी, और भविष्य में दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को कम करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।