मुंबई, 22 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने भारत पर रूस से तेल खरीदकर मुनाफाखोरी का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भारत सस्ते दाम पर रूस से कच्चा तेल आयात कर उसे रिफाइन कर महंगे दामों पर दूसरे देशों को बेच रहा है। नवारो के अनुसार, इस प्रक्रिया से रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए धन मिल रहा है, जबकि भारतीय कंपनियां भारी मुनाफा कमा रही हैं। नवारो ने कहा कि भारत अमेरिकी कंपनियों से सामान खरीदने के लिए जो पैसा खर्च करता है, उसी धन से रूस का तेल खरीद रहा है और फिर तेल कंपनियां इस सौदे से खूब फायदा उठा रही हैं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि ऐसे हालात में भारत पर टैरिफ लगाना जरूरी है। हालांकि उन्होंने माना कि शांति की दिशा में रास्ता भारत से होकर ही निकल सकता है। नवारो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बताते हुए कहा कि भारत को यह विचार करना चाहिए कि वह वैश्विक अर्थव्यवस्था में किस तरह की भूमिका निभा रहा है। उनके अनुसार, यह कदम युद्ध को बढ़ावा देने वाला है, शांति को आगे बढ़ाने वाला नहीं।
इसी बीच ट्रम्प ने भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो 27 अगस्त से लागू होगा। इससे पहले जुलाई में भी अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया था। इसका मतलब है कि आने वाले समय में अमेरिकी बाजार में भारतीय सामानों के आयात पर कुल 50% टैरिफ देना पड़ेगा। मशहूर अर्थशास्त्री जेफ्री सैक्स ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि भारत पर इतना भारी शुल्क लगाना अमेरिकी विदेश नीति के लिए हानिकारक साबित होगा। वहीं अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली पहले ही चेतावनी दे चुकी हैं कि अगर भारत और अमेरिका के रिश्तों में आ रही दरार को नहीं रोका गया तो यह एक गंभीर रणनीतिक गलती होगी। भारत पहले ही इन आरोपों को खारिज कर चुका है। रूस दौरे के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि रूस से तेल खरीदने में भारत सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि चीन है। उन्होंने यह भी बताया कि रूस से LNG आयात में यूरोपीय यूनियन सबसे आगे है और 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार बढ़ाने में भी कई दक्षिणी देश भारत से ज्यादा आगे हैं। जयशंकर ने कहा कि ऐसे में भारत पर इतना अधिक टैरिफ लगाना बिल्कुल भी उचित नहीं है।