मुंबई, 13 मई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। जर्मन सरकार ने देश के सबसे बड़े कट्टर दक्षिणपंथी ग्रुप 'राइख सिटीजन' पर बैन लगा दिया है। यह संगठन खुद को जर्मनी का साम्राज्य कहता है और देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करना चाहता है। इसके चार नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। कई राज्यों में 800 पुलिस अधिकारी इस ग्रुप की प्रापर्टी और प्रमुख सदस्यों के घरों की तलाशी ले रहे हैं। जर्मनी के इंटरनल मिनिस्टर अलेक्जेंडर डोब्रिंड्ट ने कहा इस संगठन के सदस्यों में हमारे देश में अलग राज्य बनाने की कोशिश की और आर्थिक अपराधों को बढ़ावा दिया। इन लोगों ने यहूदी विरोध झूठी कथाओं को सहारा लिया और देश की सत्ता पर दावा किया।
राइख सिटीजन ग्रुप जिसे रीच्सबर्गर ग्रुप भी कहा जाता है कि शुरुआत 1980 के दशक में हुई थी। इसके मेंबर देश के अलग अलग हिस्सों में फैले हुए हैं। ये लोग जर्मनी को एक देश के तौर पर मान्यता नहीं देता है। इसका दावा है कि जर्मनी का ऐतिहासिक राइख साम्राज्य अभी भी मौजूद है। इस ग्रुप के मेंबर देश की लोकतांत्रिक और संवैधानिक सिस्टम जैसे संसद, कानून या अदालतों की अनदेखी करते हैं। वे टैक्स और जुर्माना देने से भी इनकार करते हैं। ये लोग अदालती आदेशों की अनदेखी करते हैं और कभी-कभी अपने पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस खुद ही छाप लेते हैं। इसके साथ ही खुद को सम्राट भी घोषित कर देते हैं। राइख सिटीजन ग्रुप का दावा है जर्मनी एक आजाद देश नहीं है, बल्कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर में जिन देशों की जीत हुई थी उनके द्वारा बनाई गई एक प्राइवेट कंपनी है। यहां रहने वाले लोग इस कंपनी के वर्कर्स हैं। अपनी इस बात को साबित करने के लिए ये ग्रुप कहता है कि सेकेंड वर्ल्ड वॉर में जर्मनी ने आत्म समर्पण कर दिया था, लेकिन किसी शांति समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए थे, क्योंकि उस वक्त कोई जर्मन सरकार नहीं थी जो इस पर हस्ताक्षर करती। तब मित्र देशों (ब्रिटेन, अमेरिका, जर्मनी, रूस) ने मिलकर एक देश बनाया जो असल में एक प्राइवेट कंपनी है।