मुंबई, 16 अप्रैल, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को लेकर कहा कि यह यूनिवर्सिटी एक मजाक है और यह सिर्फ वोक कर्मचारियों की भर्ती कर रहा है। ट्रम्प ने कहा कि अब हार्वर्ड को दुनिया की सबसे बेहतर यूनिवर्सिटी या कॉलेजों की किसी भी लिस्ट में नहीं गिना जाना चाहिए। हार्वर्ड एक मजाक है जो नफरत और मूर्खता सिखाता है। इसे अब सरकारी पैसा नहीं मिलना चाहिए। ट्रम्प का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब उन्होंने एक दिन पहले ही हार्वर्ड की 18 हजार करोड़ रुपए की फंडिंग रोकी थी और उसका टैक्स फ्री दर्जा खत्म करने की बात कही थी। ट्रम्प ने न्यूयॉर्क और शिकागो के डेमोक्रेटिक मेयर बिल डी ब्लासियो और लोरी एलेन लाइटफुट की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, हर कोई जानता है कि हार्वर्ड रास्ते से भटक गया है। हार्वर्ड ने न्यूयॉर्क और शिकागो के मेयर को भारी सैलरी देकर म्यूनिसिपल मैनेजमेंट और गवर्नेंस पढ़ाने के लिए नियुक्त किया है। इन दोनों कट्टरपंथी वामपंथी मूर्खों ने दो ऐसे शहर छोड़ें है, जिन्हें बुराई से उबरने में कई साल लगेंगे।
ट्रम्प ने कहा कि हार्वर्ड लगभग पूरी तरह से वोक, कट्टर वामपंथी, मूर्ख और 'पक्षपाती' लोगों को काम पर रख रहा है, जो स्टूडेंट्स और भविष्य के नेताओं को सिर्फ नाकामी सिखा सकते हैं। इन वामपंथी मूर्खों के जैसे कई अन्य लोग हार्वर्ड में पढ़ा रहे हैं। इस वजह से हार्वर्ड को अब सीखने की सही जगह नहीं माना जा सकता है। इससे पहले ट्रम्प ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 2.2 अरब डॉलर (करीब 18 हजार करोड़ रुपए) की फंडिंग रोकी थी। यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि हार्वर्ड ने व्हाइट हाउस की उन मांगों को मानने से इनकार कर दिया जिनका मकसद कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियों पर सख्ती करना था। ट्रम्प प्रशासन ने 3 अप्रैल को यूनिवर्सिटी के सामने मांग रखी थी कि यूनिवर्सिटी के गवर्नेंस, एडमिशन और हायरिंग प्रोसेस पर सरकार को नियंत्रण दिया जाए और इनमें बड़ा बदलाव किया जाए। इसके अलावा डाइवर्सिटी ऑफिस बंद करने और अंतरराष्ट्रीय छात्रों की जांच में इमिग्रेशन अफसरों की मदद करने की मांग भी रखी गई थी। हार्वर्ड ने इन मांगों को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था। इसके बाद सोमवार रात को ट्रम्प प्रशासन ने हार्वर्ड को बताया कि उसकी 2 अरब डॉलर से ज्यादा की फेडरल फंडिंग रोका जा रहा है।