सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें एक व्यक्ति खुशी से झूमता हुआ नजर आ रहा है। वीडियो के वॉयस ओवर में दावा किया गया है कि यह शख्स अंधा था और मक्का स्थित हरम शरीफ में नमाज पढ़ने के बाद उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे उस खुशी में उसकी आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं और लोग उसे गले लगाकर बधाई दे रहे हैं।
लेकिन क्या यह दावा सच है? चलिए जानते हैं इस वायरल वीडियो के पीछे की पूरी सच्चाई।
वायरल वीडियो का दावा क्या है?
फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्विटर जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कई यूजर्स ने इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा है कि यह घटना हाल ही में मक्का की ग्रैंड मस्जिद में हुई है। वीडियो में बताया जा रहा है कि यह शख्स मिस्र का रहने वाला था, जो अंधा था। उसने मक्का में नमाज अदा की और फिर उसकी आंखों की रोशनी वापस आ गई। यह चमत्कार एक तरह से अल्लाह की कुदरत का परिचायक बताया जा रहा है।
क्या है वायरल वीडियो की असलियत?
इस वीडियो के की-फ्रेम्स की पड़ताल करने पर पता चला कि यह वीडियो नया नहीं है। हमने रिवर्स इमेज सर्च के जरिए इसकी जांच की और हमें 2016 की एक रिपोर्ट मिली। हिया.कॉम (hia.com) नामक वेबसाइट पर 7 जून 2016 को प्रकाशित एक लेख में इस वीडियो की मौजूदगी मिली है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, इस वीडियो में दिखाए गए व्यक्ति को सऊदी पुलिस ने पिकपॉकेटिंग यानी जेबकतरा के आरोप में गिरफ्तार किया था। जांच में यह भी सामने आया कि वह व्यक्ति अंधा नहीं था और उसने लोगों को गुमराह करने के लिए झूठ बोला था।
वास्तव में यह वीडियो एक नाटक था, जिसमें लोगों की भावनाओं का गलत फायदा उठाया गया। सऊदी पुलिस ने इस घटना की गहनता से जांच की और फर्जी दावा करने वाले इस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया।
सोशल मीडिया पर क्यों फैलती है ऐसी फेक न्यूज?
सोशल मीडिया के जमाने में कई बार हम बिना किसी जांच-परख के वायरल कंटेंट को शेयर कर देते हैं। ऐसी खबरें, खासकर जब वे धार्मिक या चमत्कारिक होती हैं, तो लोगों के भावनात्मक जुड़ाव के कारण वे और तेजी से फैलती हैं।
कुछ लोग जान-बूझकर भी ऐसी फेक न्यूज फैलाते हैं ताकि वे ज्यादा ध्यान आकर्षित कर सकें या अपनी राजनीतिक, सामाजिक या धार्मिक धारणाओं को मजबूत कर सकें। लेकिन ये झूठी खबरें न केवल भ्रम फैलाती हैं, बल्कि समाज में गलतफहमी और अविश्वास भी पैदा करती हैं।
वायरल वीडियो की पड़ताल कैसे करें?
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रिवर्स इमेज सर्च करें: अगर आपको किसी वीडियो या फोटो की सच्चाई पर शक हो, तो गूगल या अन्य सर्च इंजनों से रिवर्स इमेज सर्च का इस्तेमाल करें।
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भरोसेमंद स्रोत देखें: केवल उन्हीं वेबसाइट्स या न्यूज एजेंसियों की खबरों पर भरोसा करें, जो अपने फैक्ट-चेक के लिए जानी जाती हैं।
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वीडियो के की-फ्रेम्स जांचें: किसी वीडियो के स्थिर चित्रों को अलग कर उनका ऑनलाइन सत्यापन करें।
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तारीख और स्थान जांचें: वीडियो या फोटो के साथ दी गई तारीख और स्थान की सच्चाई पर गौर करें।
निष्कर्ष
यह स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा वीडियो झूठा है। यह वीडियो 2016 का है, जिसमें दिखाया गया व्यक्ति अंधा नहीं था, बल्कि उसने झूठ बोलकर लोगों को धोखा दिया। सऊदी पुलिस ने उसे पिकपॉकेटिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था।
इस प्रकार की खबरों पर बिना जांच-परख के भरोसा करना गलत है और इससे भ्रम फैलता है। हमें चाहिए कि हम किसी भी जानकारी को साझा करने से पहले उसकी सत्यता को जरूर जांचें।
आपके लिए संदेश
धार्मिक और आध्यात्मिक मामलों में भी सच्चाई का सम्मान करना जरूरी है। चमत्कार की उम्मीद अच्छी बात है, लेकिन झूठे दावे और फेक वीडियो से बचना चाहिए। अपने सामाजिक दायित्व को समझें और फैक्ट चेक कर बिना जांचे किसी भी वीडियो या खबर को शेयर न करें।
इससे न केवल आपकी विश्वसनीयता बनी रहेगी, बल्कि समाज में भी सही जानकारी का संचार होगा।