सोशल मीडिया का युग आज के समय में हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हर दिन अनगिनत वीडियो, फोटो और मैसेज वायरल होते रहते हैं। इनमें से कई कंटेंट सच पर आधारित होते हैं, लेकिन बहुत सारे पोस्ट और वीडियो ऐसे भी होते हैं जो पूरी तरह से गलत या भ्रामक जानकारी फैलाते हैं। ऐसे में फेक न्यूज और गलत सूचनाएं लोगों के बीच अफवाहें फैलाती हैं और समाज में गलतफहमियां पैदा करती हैं।
इसी कड़ी में हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप पर एक मैसेज वायरल हुआ, जिसमें दावा किया गया कि भारत सरकार ने भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए एक बैंक खाता खोला है, जिसमें हर भारतीय अपनी मर्जी से पैसे जमा कर सकता है। इस मैसेज में बताया गया कि यह बैंक खाता सुपर स्टार अक्षय कुमार के सुझाव पर खोला गया है और इसमें कोई भी व्यक्ति रोजाना एक रुपये से लेकर असीमित राशि जमा कर सकता है। साथ ही यह दावा किया गया कि यह राशि सेना के हथियार खरीदने और युद्ध क्षेत्र में घायल या शहीद सैनिकों के परिवारों की मदद के लिए इस्तेमाल होगी।
यह मैसेज काफी तेजी से वायरल हुआ और कई लोग इसे सच मानकर आगे शेयर करने लगे। सोशल मीडिया पर इस तरह की अफवाहें इतनी तेजी से फैलती हैं कि सच्चाई पर सवाल उठना स्वाभाविक है। ऐसे में सरकार और संबंधित एजेंसियों द्वारा इसकी जांच जरूरी हो जाती है ताकि आम जनता को सही जानकारी दी जा सके।
वायरल मैसेज का सच क्या है?
जब इस मैसेज की सत्यता की जांच की गई तो पता चला कि यह दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) ने इस मामले में फैक्ट चेक कर बताया कि सरकार ने ऐसा कोई बैंक खाता नहीं खोला है जो भारतीय सेना के आधुनिकीकरण के लिए हो। न ही सरकार ने ऐसा कोई अभियान शुरू किया है जहां आम नागरिक अपनी इच्छानुसार पैसे जमा कर सकें।
पीआईबी ने साफ किया कि वायरल हो रहे मैसेज में जो बैंक खाता बताया जा रहा है, वह भारतीय सेना के आधुनिकीकरण या सैनिकों की मदद के लिए नहीं है। यह पूरी तरह से फेक और अफवाह है। इस प्रकार की झूठी खबरें देश की सुरक्षा और सेना के प्रति लोगों के विश्वास को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाहों से सावधान रहने और गलत सूचना को फैलने से रोकने की जरूरत है।
क्यों फैलती हैं ऐसी गलत सूचनाएं?
सोशल मीडिया पर गलत सूचनाएं फैलने के कई कारण होते हैं। कभी-कभी लोग बिना सोचे-समझे किसी भी खबर को शेयर कर देते हैं, जो जल्द वायरल हो जाती है। इसके अलावा, कुछ लोग जानबूझकर फर्जी खबरें फैला कर भ्रम फैलाते हैं, जिसे ‘मिसइन्फॉर्मेशन’ या ‘डिजइन्फॉर्मेशन’ कहा जाता है।
वायरल मैसेज में किसी प्रसिद्ध व्यक्ति जैसे अक्षय कुमार का नाम जोड़ना भी इस अफवाह को सच जैसा दिखाने का तरीका हो सकता है। इससे लोग उस मैसेज को ज्यादा विश्वसनीय समझते हैं और बिना जांच के उसे आगे बढ़ा देते हैं। ऐसे गलत दावे सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी खतरनाक साबित हो सकते हैं।
सोशल मीडिया यूजर्स को क्या करना चाहिए?
सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाहों से बचने के लिए हमें खुद जिम्मेदार बनना होगा। सबसे जरूरी बात यह है कि कोई भी सूचना मिलने पर उसे तुरंत साझा न करें, बल्कि उसकी सत्यता जांच लें। भारत सरकार और अन्य संस्थान जैसे प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (PIB), आर्टिकल 370, और फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट्स की मदद से हम किसी खबर के सच होने की जांच कर सकते हैं।
इसके अलावा, सरकारी या आधिकारिक वेबसाइटों पर प्रकाशित सूचनाओं पर भरोसा करें। यदि कोई संदेश संदिग्ध लगे या बहुत अधिक चौंकाने वाला हो, तो उसे फैलाने से बचें। सोशल मीडिया पर सतर्क रहकर हम गलत सूचनाओं के फैलाव को रोक सकते हैं और समाज में शांति और सटीक जानकारी को बढ़ावा दे सकते हैं।
निष्कर्ष
वायरल हो रही गलत सूचनाओं से सावधान रहना आज हर सोशल मीडिया यूजर की जिम्मेदारी बन गई है। भारतीय सेना जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर फर्जी खबरें फैलाना न केवल गलत है, बल्कि देश की सुरक्षा भावना को भी चोट पहुंचाता है। इसलिए किसी भी वायरल मैसेज को बिना जांचे-परखे भरोसा करना या उसे आगे बढ़ाना ठीक नहीं है।
सरकार और सोशल मीडिया कंपनियां भी इस दिशा में कदम उठा रही हैं ताकि फेक न्यूज पर अंकुश लगाया जा सके। लेकिन सबसे बड़ी भूमिका आम जनता की है कि वे सचेत और जागरूक रहें। सच का साथ देकर ही हम सोशल मीडिया को एक बेहतर और भरोसेमंद मंच बना सकते हैं।