सोशल मीडिया की दुनिया में किसी भी घटना को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत करना अब आम बात हो गई है। फोटो और वीडियो को पुराने घटनाक्रमों से निकालकर नई घटनाओं से जोड़ दिया जाता है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जिसमें कहा गया कि पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव, राहुल गांधी के साथ स्टेज पर न चढ़ पाने की वजह से फूट-फूट कर रोने लगे। यह दावा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और इसे लेकर तमाम प्रतिक्रियाएं भी आने लगीं। लेकिन इंडिया टीवी की फैक्ट चेक टीम ने इस दावे की गहराई से पड़ताल की और सच्चाई सामने लाई।
क्या हो रहा है वायरल?
एक सोशल मीडिया यूजर, जो खुद को 'बिहारी बाबू' नाम से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर परिचित कराता है, ने पप्पू यादव का एक वीडियो शेयर किया। वीडियो के साथ लिखा गया – “भारी बेइज्जती है यार, पप्पू यादव को राहुल गांधी के साथ स्टेज पे चढ़ने नहीं दिया गया तो पप्पू यादव रोने लगे।” इस दावे के साथ वीडियो को हजारों बार रीट्वीट और शेयर किया गया, जिससे यह तेजी से वायरल हो गया।
वीडियो की सच्चाई क्या है?
इंडिया टीवी की फैक्ट चेक टीम ने वायरल वीडियो की गहराई से पड़ताल की। सबसे पहले वीडियो के एक कीफ्रेम (फ्रेम का स्क्रीनशॉट) को गूगल रिवर्स इमेज सर्च में डाला गया। खोज के दौरान ABP न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो रिपोर्ट मिली, जो 6 सितंबर 2018 को पब्लिश हुई थी।
इस रिपोर्ट के अनुसार, उस समय पप्पू यादव बिहार के मुजफ्फरपुर में एक रैली में जा रहे थे। वहां उनके काफिले पर अचानक हमला हो गया। इस हमले के बाद जब वे मीडिया से बात कर रहे थे, तब वे भावुक हो गए और रोते हुए कहा कि उन पर जाति पूछकर हमला किया गया।
क्या राहुल गांधी वाली बात सही है?
नहीं। वायरल दावे में जिस घटना को राहुल गांधी के स्टेज से जोड़ा जा रहा है, उसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। वीडियो की घटना 7 साल पुरानी यानी सितंबर 2018 की है, जबकि राहुल गांधी से संबंधित कोई भी स्टेज विवाद या रोने की बात पप्पू यादव की ओर से सामने नहीं आई है। न तो पप्पू यादव ने इस पर कोई प्रतिक्रिया दी और न ही कांग्रेस पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान आया है।
फैक्ट चेक निष्कर्ष
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वायरल वीडियो पुराना है।
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वीडियो में दिख रही घटना का राहुल गांधी या हालिया किसी कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है।
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वीडियो 2018 का है, जब मुजफ्फरपुर में पप्पू यादव के काफिले पर हमला हुआ था।
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पप्पू यादव की भावनात्मक प्रतिक्रिया उस हमले के बाद की थी, न कि किसी स्टेज पर चढ़ने की मनाही की वजह से।
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वायरल दावा पूरी तरह से भ्रामक और झूठा है।
फैक्ट चेक रेटिंग: ❌ फर्जी दावा
निष्कर्ष
सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली हर खबर सही नहीं होती। भ्रामक वीडियो और झूठे दावों के जरिए लोगों की भावनाओं को भड़काया जा सकता है। पप्पू यादव के वायरल वीडियो के साथ भी यही हुआ है। एक सात साल पुरानी दुखद घटना को तोड़-मरोड़ कर राजनीतिक विवाद से जोड़ दिया गया। ऐसे में पाठकों और दर्शकों को हमेशा सजग रहना चाहिए और किसी भी वीडियो या फोटो को शेयर करने से पहले उसकी सच्चाई की जांच कर लेनी चाहिए।