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कानपुर में ‘नाककटवा’ की दहशत… आधा दर्जन लोगों की कट चुकी है नाक, पीड़ितों ने बताई पूरी कहानी

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Posted On:Saturday, November 1, 2025

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले के एक गाँव में इन दिनों एक अजीब और सिहरन पैदा करने वाला आतंक फैला हुआ है. यह आतंक किसी जंगली जानवर या चोर गिरोह का नहीं, बल्कि गाँव के ही एक आदमी का है, जिसे स्थानीय लोग 'नाककटवा' कहकर पुकारते हैं. आरोप है कि यह शख्स, जिसका नाम अलवर है, विवाद या मामूली कहासुनी होने पर सामने वाले की नाक या उंगली को दांतों से काटकर अलग करने पर उतारू हो जाता है. गाँव वाले दावा करते हैं कि पिछले दो सालों में आधा दर्जन से ज़्यादा लोग उसकी इस हिंसक हरकत का शिकार हो चुके हैं.

दो सालों में 6 से अधिक पीड़ितों का दावा

हाल ही में, पीड़ित दिवारी लाल और उनके भाई अवधेश शिकायत लेकर कानपुर के डीएम दफ्तर पहुँचे. चेहरे पर पट्टी लगाए, दिवारी लाल ने अपनी आपबीती सुनाई. दिवारी लाल ने अधिकारियों को बताया, "साहब, वो (अलवर) नशे में धुत होकर लड़ाई-झगड़ा करता है और सीधा नाक पर हमला करता है. मेरी भी नाक काट ली, भाई की भी. उसने कुल्हाड़ी से भी हमला किया. दो साल में वो पाँच-छह लोगों की नाक काट चुका है." उनके साथ मौजूद उमेश की कहानी भी ऐसी ही है, जो दो साल पुरानी है. उमेश ने बताया कि अलवर ने उनकी नाक और उंगली काटी थी, जिसके बाद उसे जेल भी हुई थी. लेकिन जेल से बाहर आते ही उसने फिर से वही हिंसक हरकतें शुरू कर दी हैं.

लोग रास्ता बदलने को मजबूर

गाँव में अलवर का इतना खौफ है कि लोग उससे बात करने से भी डरते हैं. ग्रामीणों के अनुसार, खेत में काम हो या सामान्य रास्ता, अगर अलवर सामने से आता दिख जाए, तो कई लोग तुरंत रास्ता बदल लेते हैं. गाँव की महिलाओं का कहना है कि वे अपने बच्चों को अकेले बाहर नहीं भेजतीं, कहीं 'नाककटवा' उन पर हमला न कर दे. ग्रामीणों के लिए यह 'नाककटवा' कोई प्रेत या रहस्यमयी साया नहीं है, बल्कि एक ऐसा इंसान है जो हिंसा को हथियार की तरह इस्तेमाल करता है और जिसका डर उन्हें बाघ या भेड़िए से भी ज़्यादा सताता है.

प्रशासन का बयान और उठते सवाल

जब पीड़ित डीएम से मिले, तो उन्होंने जाँच का भरोसा दिया. वहीं, क्षेत्र के एसीपी अमरनाथ यादव ने इस मामले पर बयान देते हुए कहा कि: "19 अक्टूबर को दोनों पक्षों में मारपीट हुई थी. दोनों की मेडिकल कराई गई और 151 (शांति भंग) की कार्रवाई हुई थी. नाक काटने की बात मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट नहीं है. लड़ाई में चोट हो सकती है." एसीपी के इस बयान के बाद कई गंभीर सवाल खड़े होते हैं: क्या सच में किसी की नाक काटी गई या ये केवल चोटें थीं, जैसा पुलिस कह रही है?

अगर नाक नहीं कटी, तो फिर आधा दर्जन लोग लगातार एक ही व्यक्ति पर इस तरह के सनसनीखेज आरोप क्यों लगा रहे हैं? क्या यह केवल एक मामूली मारपीट का मामला है, या वाकई गांव में एक ऐसा व्यक्ति घूम रहा है, जो गुस्से में आकर खतरनाक और अमानवीय हिंसा करता है? पीड़ितों और ग्रामीणों की दहशत को देखते हुए, प्रशासन के लिए इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच करना आवश्यक है ताकि गाँव से यह भयानक आतंक खत्म हो सके.


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