कांग्रेस सांसद शशि थरूर की मुश्किलें पार्टी के अंदर लगातार बढ़ती जा रही हैं। हाल ही में उनके राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर दिए गए बयान को लेकर कांग्रेस केरल इकाई में गहरी नाराजगी व्याप्त हो गई है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उनके रुख को स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है और तिरुवनंतपुरम में किसी भी कांग्रेस कार्यक्रम में उन्हें आमंत्रित नहीं करने का निर्णय लिया है। केरल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के. मुरलीधरन ने साफ कहा है कि जब तक थरूर अपना रुख नहीं बदलते, तब तक उन्हें पार्टी की ओर से किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा।
कांग्रेस केरल इकाई का कड़ा रुख
मुरलीधरन ने यह भी कहा कि थरूर के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए, इसका फैसला कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व करेगा, लेकिन स्थानीय स्तर पर पार्टी की ओर से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि थरूर को तिरुवनंतपुरम में किसी भी पार्टी आयोजन में नहीं बुलाया जाएगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब संसद का मानसून सत्र शुरू हो चुका है और कांग्रेस सरकार को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले जैसे मामलों को लेकर घेरने की रणनीति पर काम कर रही है।
शशि थरूर के बयान ने पार्टी के लिए राजनीतिक मुश्किलें खड़ी कर दी हैं, क्योंकि वे जिस मुद्दे पर बात कर रहे हैं वह पार्टी की आधिकारिक नीति से बिल्कुल अलग है। पार्टी के अंदर यह चिंता है कि थरूर के इस रुख से पार्टी की एकजुटता प्रभावित हो सकती है।
थरूर का बयान और उसकी पृष्ठभूमि
शशि थरूर ने केरल के कोच्चि में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि उनके लिए पार्टी से पहले देश है। उन्होंने कहा कि पार्टी का मकसद राष्ट्र निर्माण होना चाहिए और वे अपने रुख पर कायम रहेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि यह देश हित में है। थरूर ने साफ किया कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में अन्य राजनीतिक दलों से सहयोग की बात करते हैं, जो उनकी पार्टी की सोच से मेल नहीं खाती।
विशेषज्ञों के अनुसार, थरूर का यह बयान राष्ट्रवादी विचारधारा से प्रेरित था, लेकिन पार्टी के अंदर इसे गलतफहमी के साथ देखा गया। पार्टी नेतृत्व के लिए यह संदेश काफी संवेदनशील रहा है, खासकर ऐसे वक्त में जब पार्टी राजनीतिक मोर्चों पर एकजुटता बनाए रखने की कोशिश कर रही है।
पहले भी हो चुकी हैं विवादित टिप्पणियां
यह पहली बार नहीं है जब थरूर ने कांग्रेस के अंदर विवादित स्थिति पैदा की हो। इससे पहले उन्होंने एक मलयालम अखबार में आपातकाल के मुद्दे पर एक लेख लिखा था, जिसमें उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की आलोचना की थी। इस लेख को लेकर भी पार्टी के कई नेता नाराज हुए थे। केरल कांग्रेस के नेता मुरलीधरन ने उस वक्त भी कहा था कि यदि थरूर पार्टी में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं तो उन्हें अपने लिए कोई अलग रास्ता चुनना चाहिए।
क्या है पार्टी का रुख?
कांग्रेस केरल इकाई और राष्ट्रीय नेतृत्व इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पार्टी की नीति के खिलाफ कोई भी बयान पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। वे चाहते हैं कि सभी नेता एक सुर में बोलें ताकि विपक्ष के खिलाफ मजबूत रणनीति बनाई जा सके। ऐसे समय में जब पार्टी कई अहम मुद्दों पर सरकार को घेर रही है, थरूर जैसे वरिष्ठ नेता का अलग रुख पार्टी की राजनीति को जटिल बना रहा है।
पार्टी के अंदर यह बहस भी चल रही है कि क्या थरूर की नाराजगी को पार्टी नेतृत्व गंभीरता से ले और संवाद के जरिए समाधान निकाले। लेकिन फिलहाल पार्टी केरल इकाई ने स्पष्ट कर दिया है कि बिना रुख बदले थरूर को किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं किया जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषण
विश्लेषकों का मानना है कि शशि थरूर की स्थिति पार्टी के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि वे एक लोकप्रिय और प्रभावशाली सांसद हैं। उनकी राय पार्टी के भीतर भी कई लोगों के समर्थन में हो सकती है, लेकिन पार्टी नेतृत्व के लिए यह जरूरी है कि वे सभी नेताओं को एकजुट रखें। पार्टी की छवि और आगामी चुनावों को देखते हुए ऐसा फैसला लेना कांग्रेस नेतृत्व के लिए अहम है।
थरूर के बयान ने यह सवाल भी उठाए हैं कि क्या पार्टी नेतृत्व में विचारों की विविधता को सहन कर सकती है या फिर सभी नेताओं को पार्टी लाइन में बांधकर चलना होगा। इससे कांग्रेस की लोकतांत्रिक छवि पर भी प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष
शशि थरूर और कांग्रेस केरल इकाई के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। थरूर की स्थिति स्पष्ट है कि वे अपने विचारों पर कायम हैं और देशहित को पार्टी से ऊपर मानते हैं। वहीं पार्टी नेतृत्व और केरल इकाई इस बात पर अडिग है कि थरूर को अपना रुख बदलना होगा अन्यथा उन्हें पार्टी से अलग राह चुननी पड़ेगी।
यह मामला कांग्रेस के लिए एक गंभीर राजनीतिक और सामरिक चुनौती बन गया है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि पार्टी नेतृत्व इस संकट को कैसे संभालता है और थरूर अपने बयान के साथ पार्टी में बने रहते हैं या अलग रास्ता अपनाते हैं