मुंबई, 21 नवंबर, (न्यूज़ हेल्पलाइन) देश में लगातार बढ़ते वायु प्रदूषण (Air Pollution) के स्तर के बीच, फेफड़ों के स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर दावा सामने आया है। एयर क्वालिटी कंपनी 'ब्रीथईजी' के संस्थापक, वरुण अग्रवाल ने हाल ही में एक चर्चा के दौरान कहा कि उच्च प्रदूषण के कारण भारतीय लोगों के फेफड़े पश्चिमी देशों (Western Population) के लोगों की तुलना में औसतन 10 से 15 प्रतिशत तक छोटे और कमजोर हैं।
अग्रवाल ने दावा किया कि देश में प्रदूषण का उच्च स्तर भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है, जिससे वे यूरोपीय एथलीटों के स्तर पर प्रदर्शन नहीं कर पाते।
विशेषज्ञों ने भी की दावे की पुष्टि
इस दावे की पुष्टि करते हुए, चेन्नई के एसआईएमएस अस्पताल में पल्मोनोलॉजी के सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. के. तिरुपति ने बताया कि कई अध्ययनों में यह पाया गया है कि भारतीय फेफड़े वास्तव में पश्चिमी आबादी के फेफड़ों की तुलना में लगभग 10 से 15% छोटे होते हैं।
डॉ. तिरुपति के अनुसार, फेफड़ों के छोटे आकार का मुख्य कारण प्रदूषण और खराब हवा की गुणवत्ता है। इसके साथ ही, आनुवंशिक (genetic) और पोषण संबंधी कारक भी इसमें भूमिका निभाते हैं।
बच्चों पर सबसे बुरा असर
डॉक्टर ने विस्तार से बताया कि प्रदूषित हवा में मौजूद महीन कण (fine particles) फेफड़ों की आंतरिक परतों में गहरे तक जा सकते हैं, जिससे सूजन (inflammation) पैदा होती है। यह स्थिति विशेष रूप से बच्चों और युवा वयस्कों में फेफड़ों के सामान्य विकास को धीमा कर देती है और उनकी कुल क्षमता (overall capacity) को समय के साथ कम कर सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक बार जब फेफड़ों का विकास पूरा हो जाता है, तो संरचनात्मक अंतर को उलटा नहीं जा सकता।
एथलीटों के प्रदर्शन पर प्रभाव
फेफड़ों की कम क्षमता सक्रिय जीवन जीने वाले लोगों और पेशेवर एथलीटों के लिए एक चुनौती बन सकती है। यह शरीर द्वारा ऑक्सीजन लेने और मांसपेशियों तक पहुँचाने की क्षमता को सीमित कर देता है। एथलीटों में, यह उनकी एंड्यूरेंस (सहनशक्ति) और रिकवरी (ठीक होने की गति) दोनों को प्रभावित करता है। सामान्य सक्रिय जीवन वाले लोगों में भी यह थकान और सांस फूलने का कारण बन सकता है।
फेफड़ों को बचाने के लिए जरूरी कदम
बढ़ते प्रदूषण के बीच, विशेषज्ञों ने फेफड़ों के स्वास्थ्य की रक्षा और उसे बढ़ाने के लिए कुछ उपाय सुझाए हैं:
- बाहरी कसरत से बचें: जब वायु गुणवत्ता खराब हो तो बाहर व्यायाम या कसरत करने से बचें।
- यातायात में खिड़कियाँ बंद रखें: व्यस्त समय में ट्रैफिक के दौरान कार की खिड़कियां बंद रखें।
- प्राणायाम का अभ्यास करें: ब्रीदिंग एक्सरसाइज, जैसे कि प्राणायाम, फेफड़ों को मजबूत बनाने में मदद करती हैं।
- एंटीऑक्सीडेंट और हाइड्रेशन: एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर खुद को हाइड्रेटेड रखें।
- धूम्रपान छोड़ें/कम करें: फेफड़ों को दीर्घकालिक क्षति से बचाने के लिए धूम्रपान से पूरी तरह बचें या इसे कम करें।