अमेरिका समय-समय पर भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर दावा करता रहा है कि उसने इन तनावों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने कई भाषणों में बार-बार इस बात का उल्लेख किया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही लड़ाई को रोकवाया है। हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की प्रतिनिधि ने भी यह दावा दोहराया कि अमेरिका ने पिछले तीन महीनों में ईरान-इजराइल और भारत-पाकिस्तान के बीच के संघर्ष को शांतिपूर्ण समाधान की ओर ले जाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं।
अमेरिका की ‘लीडरशिप’ का दावा
अमेरिका लगातार यह दावा करता रहा है कि उसने क्षेत्रीय तनावों को कम करने में अपनी नेतृत्व भूमिका निभाई है। अमेरिकी प्रतिनिधि ने कहा कि दुनियाभर में अमेरिका की लीडरशिप साफ नजर आई है। उन्होंने विशेष रूप से कहा कि अमेरिका ने न केवल ईरान-इजराइल के बीच तनाव कम करने की कोशिश की, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच भी शांति कायम करने के लिए सक्रिय प्रयास किए हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिन पहले ही अपने एक भाषण में दावा किया था कि भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव के दौरान पांच लड़ाकू विमान मार गिराए गए, हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि ये विमान किसके थे। इस दावे के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार से इन विमानों के संबंध में स्पष्टीकरण मांगा, लेकिन भारत सरकार ने इस दावे को पूरी तरह खारिज कर दिया।
भारत का रुख और द्विपक्षीय समझौता
भारत ने स्पष्ट किया है कि इस क्षेत्र में चल रहे तनाव को नियंत्रित करने के लिए सभी निर्णय द्विपक्षीय स्तर पर लिए गए हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी यह कहा था कि मई महीने में पाकिस्तान के साथ हुआ सीजफायर पूरी तरह से द्विपक्षीय था और इसमें कोई बाहरी दबाव या मध्यस्थता शामिल नहीं थी।
इसके अलावा, ट्रंप ने यह भी कहा कि संघर्ष को रोकने के लिए अमेरिका ने व्यवसाय और आर्थिक रिश्तों को लेकर भी कदम उठाए हैं। हालांकि भारत ने इस दावे पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।
निष्कर्ष
अमेरिका के इन दावों के बावजूद भारत और पाकिस्तान के बीच शांति स्थापित करने के लिए जरूरी पहलें आमतौर पर द्विपक्षीय ही रहती हैं। अमेरिका की भूमिका भले ही क्षेत्रीय शांति के प्रयासों में मददगार हो, लेकिन वास्तविक नियंत्रण और निर्णय दोनों देशों के अपने नेतृत्व के हाथ में हैं। भारत ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वह अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने के लिए इच्छुक है, लेकिन इसके लिए पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम आवश्यक हैं।
इसलिए, अमेरिका के दावे जहां एक ओर वैश्विक नेतृत्व की भावना को दर्शाते हैं, वहीं भारत की प्रतिक्रिया यह स्पष्ट करती है कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए दीर्घकालिक शांति का आधार द्विपक्षीय संवाद और पारस्परिक विश्वास ही होगा।