21 जून 2025 की देर रात अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों ने न केवल मध्य पूर्व का तनाव बढ़ा दिया है, बल्कि अमेरिका के अंदर भी बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संकट पैदा कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की इस कार्रवाई के खिलाफ देश भर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जो अब सड़कों पर भी तेज हो चुके हैं। इस हालात को देखते हुए अमेरिकी सरकार ने अपने नागरिकों के लिए सुरक्षा अलर्ट जारी किया है ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके।
ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में विरोध प्रदर्शन
अमेरिका के प्रमुख शहरों में ट्रंप के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जिनमें से व्हाइट हाउस के बाहर और न्यूयॉर्क जैसे बड़े शहर प्रमुख हैं। प्रदर्शनकारियों ने "नो वार ऑन ईरान" के नारे लगाकर ट्रंप की ईरान पर कार्रवाई की तीखी आलोचना की है। विरोध प्रदर्शन का स्वरूप इतना व्यापक है कि '50501 आंदोलन' नामक योजना शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य अमेरिका के 50 राज्यों में 50 बड़े विरोध प्रदर्शन कराना है।
इस आंदोलन के तहत विभिन्न राज्यों और शहरों में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
यह आंदोलन लगातार बढ़ रहा है, और इसमें लाखों लोग भाग ले रहे हैं, जो ट्रंप प्रशासन की नीति का कड़ा विरोध कर रहे हैं।
अमेरिकी सेना का ईरान पर हमला: क्या हुआ था?
21 जून की रात अमेरिका ने ईरान के तीन महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया। इनमें शामिल थे:
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फोर्डो न्यूक्लियर साइट: यहां पर अमेरिकी फोर्बंकर बस्टर बम गिराए गए, जिनका मकसद ठोस संरचनाओं को नुकसान पहुंचाना था।
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नतांज न्यूक्लियर साइट: इस ठिकाने पर मिसाइलें दागी गईं।
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इस्फहान न्यूक्लियर साइट: यहां भी मिसाइल हमले किए गए।
इन हमलों से परमाणु रेडिएशन फैलने की कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन तीनों ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है। इस हमले के कारण वैश्विक सुरक्षा और राजनीति में नया संकट खड़ा हो गया है।
दुनियाभर में प्रतिक्रियाएं: दो धड़े बन गए
ट्रम्प के इस फैसले पर वैश्विक स्तर पर भी दो गुटों में बंटाव है।
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कुछ देशों ने इस कार्रवाई का समर्थन किया है, जिन्हें लगता है कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षा को रोकना जरूरी है।
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वहीं, कई अन्य देशों ने इस हमले की कड़ी निंदा की है और इसे मध्य पूर्व के लिए खतरनाक कदम बताया है।
विशेष रूप से यूरोपीय देशों, रूस और चीन ने अमेरिका की इस कार्रवाई की आलोचना की है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
अमेरिका में बढ़ती तनाव की आशंका
अमेरिका के अंदर बढ़ते विरोध प्रदर्शन और सामाजिक असंतोष के कारण वहां की सुरक्षा एजेंसियों ने हाई अलर्ट जारी कर दिया है। नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे असामाजिक तत्वों से सतर्क रहें और अफवाहों से बचें। प्रशासन ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि स्थिति बिगड़ी तो कड़े सुरक्षा उपाय लागू किए जा सकते हैं।
भविष्य की चुनौतियां
ईरान और अमेरिका के बीच टकराव बढ़ने के कारण मध्य पूर्व में एक बड़े युद्ध की संभावना प्रबल हो गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि अमेरिका ने दोबारा ईरान पर हमला किया, तो यह एक व्यापक सैन्य संघर्ष में बदल सकता है, जिससे तीसरे विश्व युद्ध के खतरे को बढ़ावा मिलेगा।
दुनियाभर के कई देशों और वैश्विक संस्थानों ने इस संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने के लिए अमेरिका और ईरान दोनों से बातचीत का आग्रह किया है। लेकिन फिलहाल स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका के ईरान पर किए गए परमाणु ठिकानों पर हमले ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति को झकझोर दिया है। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका के अंदर व्यापक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं, जो भविष्य में देश की सामाजिक और राजनीतिक स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बन सकते हैं। वहीं, वैश्विक स्तर पर भी इस संघर्ष का असर पड़ रहा है, जिससे पूरे विश्व में सुरक्षा और आर्थिक संकट की आशंका बढ़ गई है।
अब समय की मांग है कि सभी पक्ष संयम दिखाएं और युद्ध के बजाय कूटनीति को बढ़ावा दें ताकि विश्व शांति बनी रहे और एक व्यापक युद्ध को टाला जा सके।