वाशिंगटन डीसी में आयोजित यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम (USISPF) में अमेरिकी सीनेटर स्टीव डेन्स ने भारत को लेकर कई अहम बातें कही। उन्होंने भारत के साथ अमेरिकी भरोसे और निवेश की बढ़ती संभावनाओं पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान वैश्विक रणनीतिक परिदृश्य में पूंजी निवेश चीन से हटकर भारत की ओर बढ़ रहा है। स्टीव डेन्स ने खुद को भारत के भविष्य को लेकर आशावादी बताया और इस बात पर बल दिया कि भारत क्यों अब वैश्विक निवेशकों और रणनीतिक साझेदारों की नजर में सबसे महत्वपूर्ण देश बन चुका है।
भारत क्यों है निवेशकों और रणनीतिक साझेदारों की पहली पसंद?
सीनेटर स्टीव डेन्स ने बताया कि जब वे चीन जाते हैं तो अपने स्मार्टफोन को वहां साथ ले जाने से भी डरते हैं। उन्होंने कहा, “मैं इस फोन को चीन में लाने की हिम्मत नहीं करता, इसे या तो वाशिंगटन में ही छोड़ दिया जाता है।” वहीं, भारत के संदर्भ में उन्होंने एकदम विपरीत भावना जताई। उन्होंने कहा कि भारत जाते समय वे अपने परिवार को फिक्र मुक्त होकर यह बताते हैं। उनके नाती-नातिन ने भी वीडियो कॉल (फेसटाइम) पर उनसे बातचीत की। स्टीव डेन्स के अनुसार यह एक बड़ा उदाहरण है कि भारत पर कितना भरोसा किया जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा, “पूंजी निवेश सिर्फ मुनाफे का सवाल नहीं है, बल्कि यह विश्वास का भी मामला है कि जरूरत पड़ने पर पूंजी वापस भी मिलेगी। भारत इस भरोसे को पूरा करता है।” यह बात दर्शाती है कि भारत में निवेशकों को न सिर्फ आर्थिक फायदे नजर आते हैं बल्कि भारत के लोकतांत्रिक, कानूनी और पारदर्शी माहौल के कारण भी वे निवेश सुरक्षित महसूस करते हैं।
भारत की चुनौतियों और उनका समाधान
स्टीव डेन्स ने भारत में अपनी यात्राओं के अनुभव भी साझा किए। उन्होंने बताया कि जब वे करीब 20 साल पहले भारत में व्यवसाय शुरू कर रहे थे, तब भारत की स्थिति आज जैसी नहीं थी। उन्होंने चीन के मुकाबले भारत की प्रगति और बदलते माहौल को देखा और महसूस किया कि भारत ने कई जटिल समस्याओं का समाधान किया है। उन्होंने कहा, “भारत में विभिन्न क्षेत्रों में कई मुश्किल समस्याओं का समाधान हो रहा है, जो निवेशकों और व्यापारिक लोगों के लिए सकारात्मक संकेत है।”
उन्होंने यह भी कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में सुधार और तेजी से हो रहे तकनीकी नवाचार ने उन्हें भारत के भविष्य के प्रति बेहद आशावादी बना दिया है। वैश्विक बाजार में भारत एक उभरता हुआ सितारा बनकर उभरा है, जो अपने निवेशकों को बेहतर अवसर और स्थिरता प्रदान करता है।
अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक का भारत के प्रति स्नेह
यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप फोरम में अमेरिकी वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने भी भारत को लेकर गहरी उत्सुकता और सकारात्मकता जाहिर की। उन्होंने कहा, “हम अपने सहयोगियों से प्यार करते हैं और चाहते हैं कि वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) क्रांति में हमारे साथ भागीदारी करें। अगर भारत विशाल डेटा सेंटर बनाना चाहता है, तो हम पूरी तरह तैयार हैं।”
हॉवर्ड लुटनिक ने यह भी कहा कि अमेरिका भारत को एक मजबूत भागीदार और मित्र के रूप में देखता है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत भावनाओं का भी खुलासा किया और कहा, “मैं भारत का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं, और यहां तक कि सरकार में बैठे लोग भी इसे जानते हैं।”
हॉवर्ड लुटनिक के भारतीय मित्र निकेश अरोड़ा
हॉवर्ड लुटनिक ने अपने भारतीय मित्र निकेश अरोड़ा का भी उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि निकेश अरोड़ा उनके सबसे अच्छे दोस्तों में से एक हैं। वे भारत जाते समय अक्सर उनके साथ पार्टियों में शामिल होते थे, क्रिकेट खेलते थे और खुशी से समय बिताते थे। यह बात अमेरिकी-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और अमेरिका के बीच घनिष्ठ रिश्तों का प्रतीक है, जो सिर्फ व्यवसाय या राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर भी गहरे और मजबूत हैं।
समग्र विश्लेषण: भारत का वैश्विक रणनीतिक महत्व
आज के वैश्विक परिदृश्य में जब चीन पर निवेशकों और रणनीतिक साझेदारों का भरोसा कम होता जा रहा है, भारत ने अपनी स्थिरता, लोकतांत्रिक मूल्यों और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के कारण खुद को एक भरोसेमंद विकल्प के रूप में स्थापित किया है। अमेरिकी सीनेटर स्टीव डेन्स और वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक जैसे उच्च पदस्थ अधिकारी इस बात की पुष्टि करते हैं कि भारत के प्रति अमेरिका का दृष्टिकोण कितना सकारात्मक और सहयोगी है।
भारत न केवल आर्थिक विकास के अवसर प्रदान करता है, बल्कि तकनीकी नवाचार, रक्षा सहयोग, और सांस्कृतिक संवाद के माध्यम से भी अमेरिका के लिए एक विश्वसनीय साथी बन चुका है। USISPF जैसे मंच इस सहयोग को और भी मजबूत बनाते हैं, जहां दोनों देशों के प्रतिनिधि रणनीतिक विचार-विमर्श करते हैं और भविष्य की साझेदारी के नए आयाम स्थापित करते हैं।
निष्कर्ष
वाशिंगटन डीसी में USISPF के मंच से स्टीव डेन्स और हॉवर्ड लुटनिक की बातें यह स्पष्ट करती हैं कि भारत अब वैश्विक पूंजी निवेश और रणनीतिक साझेदारी का केंद्र बन चुका है। चीन से हटकर निवेश और भरोसे की दृष्टि से दुनिया का ध्यान भारत की ओर केंद्रित हो रहा है। भारत की राजनीतिक स्थिरता, आर्थिक विकास, और सामाजिक-तकनीकी प्रगति के कारण विश्वसनीयता में बढ़ोतरी हुई है।
इस मंच के माध्यम से भारत-अमेरिका के रिश्ते न केवल गहरे हुए हैं, बल्कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, और तकनीकी सहयोग और मजबूत होने की संभावना भी प्रबल हुई है। ऐसे में भारत वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था के नए केंद्र के रूप में उभर रहा है, जहां दोनों देशों के हित और संभावनाएं साथ-साथ बढ़ रही है