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भारत अंतरिक्ष में बनाएगा अपना स्टेशन, 2028 तक पहला हिस्सा होगा स्थापित

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Posted On:Saturday, August 23, 2025

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस (22 अगस्त 2025) पर भारत मंडपम, दिल्ली में ISRO ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया—इसने भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (BAS) का मॉडल पहली बार पेश किया। यह क्षण भारतीय अंतरिक्ष इतिहास में यादगार रहेगा, क्योंकि यह देश के बड़े सपनों और भविष्य की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है।


BAS क्या है—आवश्यक जानकारी

Bharatiya Antariksh Station (BAS) भारत का पहला मॉड्यूलर अंतरिक्ष स्टेशन होगा, जिसे ISRO संचालित करेगा। यह स्टेशन लगभग 52 टीन तौल में विकसित किया जाएगा और पृथ्वी से 400–450 किलोमीटर की निम्न कक्षा (Low Earth Orbit) में स्थापित किया जाएगा। इसमें प्रारंभ में 3–4, और आपातकालीन परिस्थितियों में 6 अंतरिक्ष यात्री रह सकते हैं।
समयरेखा और मिशन रणनीति

  • पहला मॉड्यूल (BAS‑1): इसे 2028 तक लॉन्च किया जाएगा। यह "Base Module" वैसा टेस्टबेड होगा, जिसमें जीवन समर्थन प्रणालियाँ और मानव आवास जैसी तकनीकों का परीक्षण होगा।
    पूरी तरह से कार्यात्मक स्टेशन: पाँच मॉड्यूल (बेस, कोर-डॉकिंग, साइंस, लैब, कॉमन वर्किंग) को स्थापित कर 2035 तक एक ऑपरेशनल अंतरिक्ष स्टेशन तैयार किया जाएगा।

  • सत्रपूर्व तैयारी: Gaganyaan मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम का विस्तार कर BAS निर्माण के लिए आवश्यक तकनीकों का विकास किया जा रहा है। 2028 तक कुल आठ मिशन होंगे, जिनमें से चार Gaganyaan अंतर्गत और चार BAS-01 निर्माण एवं तकनीकी सत्यापन के लिए होंगे।

  • डॉकिंग तकनीक: स्पेस डॉकिंग तकनीक (SPADEX) ने जनवरी 2025 में सफलतापूर्वक दो उपग्रहों के अंतरिक्ष में डॉकिंग और अनडॉकिंग का प्रदर्शन किया, जो भविष्य में BAS जैसे मॉड्यूलर स्टेशनों के निर्माण के लिए अहम तकनीकी क्षमता है।


अंग और तकनीकी विशेषताएँ

BAS की संकल्पित संरचना में शामिल हैं:

  • कॉमन बर्थिंग मैकेनिज्म जो सभी मॉड्यूल्स को जोड़ता है

  • विडियूपोर्ट्स: वैज्ञानिक अवलोकन और मनोरंजन के लिए विशेष खिड़कियाँ

  • स्वदेशी जीवन-निर्माण तकनीक (ECLSS), Bharat Docking System, ऑटोमैटेड हैच, एयरलॉक और स्पेस सूट कार्य

  • सुरक्षा सुविधा: रेडिएशन, थर्मल और माइक्रो-मीटरोरॉइड्स से बचाव सुनिश्चित किया जाएगा


महत्व और भविष्य की संभावनाएँ

  • वैज्ञानिक प्रगति: माइक्रोग्रेविटी में जीवन विज्ञान, चिकित्सा, जैव-प्रौद्योगिकी और गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से संबंधित अध्ययन संभव होंगे।

  • व्यावसायिक अवसर: स्पेस टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा; भारत कमर्शियल स्पेस सेक्टर में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेगा।

  • युवा प्रेरणा: यह युवाओं में विज्ञान और टेक्नोलॉजी-आधारित करियरों में रुचि बढ़ाएगा।

सारांश

राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस 2025 पर BAS का मॉडल प्रदर्शित करते हुए भारत ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा की एक नई दिशा का संकेत दिया। 2028 तक पहला मॉड्यूल लॉन्च, और 2035 तक पूरा स्टेशन—यह एक परिपक्व योजना है जो भारत को उन चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल कर देगी जिनके पास अपना अंतरिक्ष स्टेशन है। यह केवल तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि वैज्ञानिक, आर्थिक और प्रेरणात्मक महाकुंभ है, जो आने वाली पीढ़ियों को अंतरिक्ष की ओर आकर्षित करेगा।


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