भारत में स्मार्ट टीवी सेक्टर को लेकर एक बड़ा फैसला सामने आया है। देश के प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसे स्मार्ट टीवी बाजार में एकाधिकार (मोनोपॉली) फैलाने का दोषी माना है। इसके साथ ही CCI ने 2.38 मिलियन डॉलर (करीब 20 करोड़ रुपये) का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला न केवल गूगल की बाजार नीतियों पर सवाल उठाता है, बल्कि भारत के तेजी से बढ़ते स्मार्ट टीवी बाजार को और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
भारत गूगल के लिए अहम बाजार
CCI की रिपोर्ट में कहा गया कि भारत गूगल के सबसे बड़े ग्लोबल मार्केट्स में से एक है। गूगल की Android TV सेवाओं का भारत में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है। CCI के हस्तक्षेप के बाद गूगल ने एक नया समझौता प्रस्ताव रखा, जिसमें भारत में एंड्रॉयड स्मार्ट टीवी के लिए प्ले स्टोर और प्ले सर्विसेज को स्टैंडअलोन लाइसेंस के रूप में पेश करने की बात कही गई है।
प्ले स्टोर और सर्विसेज के लिए लगेगा शुल्क
इस नए नियम के तहत, अब गूगल का Play Store और Play Services फ्री में नहीं मिलेगा। इन सेवाओं के लिए स्मार्ट टीवी ब्रांड्स को शुल्क चुकाना पड़ेगा। साथ ही, गूगल को यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया है कि भारत में टीवी निर्माता कंपनियां अब गूगल के Android OS को इस्तेमाल करने के लिए बाध्य नहीं हैं। कंपनियां अब किसी भी ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं।
स्मार्ट टीवी यूजर्स को मिलेगी नई आज़ादी
नए नियमों के तहत, अब स्मार्ट टीवी निर्माता कंपनियां अन्य ऐप स्टोर के साथ साझेदारी कर सकेंगी। यानी कि सिर्फ Google Play Store ही नहीं, अब Amazon App Store जैसे विकल्प भी टीवी में इंस्टॉल हो सकेंगे। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि सभी ऐप्स सभी स्टोर्स पर उपलब्ध नहीं होते। अधिकतर प्रमुख ऐप्स जैसे Netflix, YouTube, Prime Video आदि, अभी भी मुख्य रूप से Google और Amazon जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हैं।
स्मार्ट टीवी खरीदने वालों के लिए जरूरी सलाह
अगर आप स्मार्ट टीवी खरीदने की सोच रहे हैं, तो टीवी में कौन सा ऑपरेटिंग सिस्टम और ऐप स्टोर पहले से इंस्टॉल है, यह जरूर जांच लें। वर्तमान में Hisense, Sony, Panasonic, Philips, Sharp, Motorola, Nokia, Toshiba और TCL जैसे ब्रांड गूगल के एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब भविष्य में इन कंपनियों के पास गूगल के अलावा अन्य OS चुनने का भी विकल्प होगा।
यह सिर्फ शुरुआत है
CCI ने स्पष्ट किया है कि यह फैसला केवल टीवी सेक्टर तक सीमित नहीं है। भविष्य में इसी तरह की नीति अन्य डिजिटल डिवाइसेज जैसे स्मार्टफोन, टैबलेट आदि पर भी लागू की जा सकती है। इस कदम को डिजिटल बाज़ार में स्वतंत्रता, पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
इस फैसले से जहां उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प और स्वतंत्रता मिलेगी, वहीं बड़ी कंपनियों को नियमों का पालन करते हुए कार्य करना होगा। गूगल के लिए यह एक बड़ा झटका जरूर है, लेकिन भारतीय बाजार के लिए यह बदलाव नई संभावनाओं के द्वार खोल सकता है।