हाल ही में केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून 2025 संसद में पास किया, जिसके बाद से ही देशभर में इस कानून को लेकर सियासी और सामाजिक हलचल तेज हो गई है। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई मुस्लिम नेता और संगठनों ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अब यह मामला बुधवार को दोपहर 2 बजे सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ के सामने पेश होगा, जिसमें कुल 10 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है। इस खंडपीठ में CJI संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार शामिल हैं।
क्या है वक्फ संशोधन कानून?
वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और सामाजिक संपत्तियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार संस्था होती है। केंद्र सरकार ने वक्फ कानून में बदलाव कर इसमें संपत्तियों के अधिग्रहण, रिकॉर्ड सत्यापन और पारदर्शिता को लेकर नए प्रावधान जोड़े हैं।
सरकार का तर्क है कि इससे वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोका जा सकेगा, जबकि विपक्ष का आरोप है कि इससे मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों पर सरकार का नियंत्रण बढ़ जाएगा।
कोर्ट में पहुंचा मामला
विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठनों ने इस संशोधन को संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि सरकार ने इस कानून के जरिए धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर हमला किया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में मांग की गई है कि इस कानून को असंवैधानिक घोषित किया जाए।
विरोध में सड़क पर उतरने की चेतावनी
कोर्ट में सुनवाई से ठीक पहले विवादास्पद वीडियो सामने आया है, जिसमें एक समुदाय विशेष के नेता ने धमकी दी है कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला उनके पक्ष में नहीं आया, तो वे सड़कों पर उतरकर भारत बंद कर देंगे।
यह वीडियो पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर जिले का बताया जा रहा है, जिसे बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
वीडियो में अखिल भारतीय इमाम संघ के एक जिलाध्यक्ष कहते दिख रहे हैं:
"अगर सुप्रीम कोर्ट में हमारे पक्ष में फैसला आया, तो हम शांति बनाए रखेंगे। लेकिन अगर फैसला हमारे खिलाफ गया, तो हम पूरे देश को ठप कर देंगे। सड़कों, गलियों, ट्रेनों को रोक देंगे।"
सुवेंदु अधिकारी का आरोप
वीडियो के साथ सुवेंदु अधिकारी ने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधा और कहा:
“जब कुछ लोग कोर्ट को धमकी दे रहे हैं और देश की शांति भंग करने की बात कर रहे हैं, तब राज्य सरकार उनके खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रही? ममता बनर्जी ऐसे लोगों के साथ मंच साझा कर रही हैं, जो देश के कानून को नहीं मानते।”
सुवेंदु ने यह भी सवाल उठाया कि अगर किसी और समुदाय से ऐसा बयान आता, तो क्या प्रशासन उतना ही शांत रहता?
निष्कर्ष: सियासी और कानूनी टकराव के मुहाने पर
वक्फ संशोधन कानून 2025 अब कानूनी और सामाजिक संघर्ष का केंद्र बन गया है। सुप्रीम कोर्ट में इसकी संवैधानिक वैधता पर बुधवार को फैसला आ सकता है, जो इस पूरे विवाद की दिशा तय करेगा।
वहीं दूसरी ओर, कोर्ट के फैसले से पहले धमकियों और आंदोलन की चेतावनियों ने मामले को और संवेदनशील बना दिया है। देखने वाली बात होगी कि न्यायालय क्या रुख अपनाता है और सरकार तथा राज्य प्रशासन इस विवाद को कैसे संभालते हैं।
इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन कानून सिर्फ एक कानूनी मसला नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है, जिसका असर देशभर में देखा जा सकता है।