बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उम्मीदवारों की घोषणा और नामांकन वापसी के बाद यह बात स्पष्ट हो गई है कि इस बार दलीय निष्ठा से कहीं ज्यादा रिश्तों का समीकरण चुनाव पर हावी है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैमिली पॉलिटिक्स के कई रंग देखने को मिल रहे हैं, जहां पार्टी लाइन से हटकर रिश्तों की अहमियत को प्राथमिकता दी जा रही है। इसका सीधा असर चुनावी प्रचार के तौर-तरीकों पर पड़ रहा है, जिससे न केवल कार्यकर्ताओं में असंतोष है, बल्कि मतदाताओं के लिए भी एक धर्मसंकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
पति-पत्नी और भाई-भाई का रोचक मुकाबला
इस चुनाव में कई सीटें ऐसी हैं, जहां परिवार के सदस्य ही आमने-सामने हैं या अलग-अलग दलों के लिए प्रचार कर रहे हैं:
मोतिहारी में 'पति की ढाल' पत्नी: पूर्वी चंपारण की मोतिहारी सीट पर राजद प्रत्याशी देवा गुप्ता के सामने उनकी पत्नी प्रीति कुमारी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में हैं। प्रीति जनता से अपील कर रही हैं कि उनकी उम्मीदवारी पति का विरोध नहीं, बल्कि "विरोधी खेमे की चाल को चित करने की रणनीति" है।
तस्लीमुद्दीन के बेटों की जंग: अररिया जिले की जोकीहाट सीट पर पूर्व मंत्री मो. तस्लीमुद्दीन के दो बेटों के बीच सीधा मुकाबला है। राजद ने छोटे बेटे और वर्तमान विधायक शाहनवाज आलम को टिकट दिया है, जबकि बड़े बेटे सरफराज आलम जन सुराज पार्टी से अपने भाई के खिलाफ डटे हैं।
पिता के खिलाफ बेटा: पूर्वी चंपारण की चिरैया सीट पर राजद प्रत्याशी और पूर्व विधायक लक्ष्मीनारायण यादव के खिलाफ उनके पुत्र लालू प्रसाद यादव भी चुनाव लड़ रहे हैं, जिससे यह मुकाबला और जटिल हो गया है।
देवरानी-जेठानी और ससुर-दामाद का समीकरण
पारिवारिक रिश्ते केवल चुनावी मैदान तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि प्रचार में भी खुलकर दिख रहे हैं:
मां-बेटी का अलग-अलग दल: मुजफ्फरपुर की गायघाट सीट पर जदयू एमएलसी दिनेश सिंह की बेटी कोमल सिंह के लिए उनकी मां और लोजपा (रामविलास) की सांसद वीणा देवी वोट मांग रही हैं। यहां दल अलग हैं, लेकिन रिश्ता सर्वोपरि है।
देवरानी-जेठानी की चुनावी जंग: नवादा जिले की हिसुआ सीट पर पूर्व मंत्री आदित्य सिंह की बहुओं के बीच जंग है। वर्तमान कांग्रेस विधायक नीतू कुमारी के खिलाफ उनकी जेठानी आभा सिंह भाजपा प्रत्याशी अनिल सिंह के पक्ष में प्रचार कर रही हैं, जिससे यह मुकाबला काफी रोचक हो गया है।
मांझी परिवार का चुनावी मोर्चा: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और उनके बेटे संतोष कुमार सुमन (मंत्री) भी अपने रिश्तेदारों के लिए वोट मांग रहे हैं। सुमन की पत्नी दीपा मांझी इमामगंज से और सास ज्योति देवी बाराचट्टी से प्रत्याशी हैं।
लालू परिवार की 'अजीबोगरीब' स्थिति
राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव के परिवार में भी यह 'रिश्तों की सियासत' चरम पर है, जहां भाई-भाई के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं:
तेजप्रताप बनाम तेजस्वी: वैशाली जिले की महुआ सीट पर लालू-राबड़ी के पुत्र तेजप्रताप यादव (जनशक्ति जनता दल के प्रत्याशी) और तेजस्वी प्रसाद यादव (राजद नेता) एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं, जो खूब चर्चा का विषय बना हुआ है।
साली के लिए प्रचार: दूसरी तरफ, सारण जिले की परसा सीट से राजद ने तेज प्रताप यादव की चचेरी साली करिश्मा यादव को प्रत्याशी बनाया है। तेजस्वी यादव जहां महुआ में बड़े भाई तेज प्रताप का विरोध कर रहे हैं, वहीं परसा में उन्हीं की साली के लिए प्रचार करते दिख रहे हैं।
इन सभी उदाहरणों से साफ है कि बिहार के इस चुनाव में जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों से ज्यादा पारिवारिक वफादारी और चुनावी रणनीति हावी हो रही है, जिससे इस बार का मुकाबला न केवल कड़ा बल्कि भावनात्मक रूप से भी काफी उलझा हुआ नजर आ रहा है।