कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बहनोई और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) के समक्ष पेश हुए। यह पेशी हरियाणा के शिकोहपुर में हुए एक विवादित भूमि सौदे और उससे जुड़े धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले के सिलसिले में हुई। वाड्रा ने अपने सुरक्षाकर्मियों और मीडियाकर्मियों के साथ करीब 2 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की और मध्य दिल्ली स्थित अपने आवास से एपीजे अब्दुल कलाम रोड पर ईडी मुख्यालय पहुंचे।
ईडी ने वाड्रा को इस मामले में 8 अप्रैल को पहली बार तलब किया था, लेकिन उन्होंने उस समय गवाही नहीं दी और नई तारीख मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक, अब एजेंसी धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उनका बयान दर्ज कर रही है।
🧾 क्या है मामला?
यह मामला फरवरी 2008 के एक भूमि सौदे से जुड़ा है, जब वाड्रा से संबंधित कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज नाम की फर्म से 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। यह सौदा 7.5 करोड़ रुपये में हुआ था। आरोप है कि इस जमीन का म्यूटेशन (नामांतरण) कुछ ही घंटों में हो गया, जो सामान्य प्रक्रिया के लिहाज से असामान्य माना गया।
इस सौदे में कथित अनियमितताओं को लेकर हरियाणा पुलिस ने 2018 में मामला दर्ज किया था, जिसके बाद यह मामला ईडी के पास पहुंचा और धन शोधन की जांच शुरू हुई।
🎙️ राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप
ईडी कार्यालय पहुंचने से पहले वाड्रा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,
“यह सब राजनीतिक प्रतिशोध है। जब भी मैं अल्पसंख्यकों के हक में बोलता हूं, वे हमें रोकने और कुचलने की कोशिश करते हैं। संसद में भी राहुल गांधी को बोलने से रोका गया। यह पूरी तरह से एजेंसियों का दुरुपयोग है।”
वाड्रा ने यह भी कहा कि वह हमेशा की तरह जांच में पूरा सहयोग करेंगे और कानून का सम्मान करते हैं।
🕵️♀️ ईडी की जांच का दायरा
रॉबर्ट वाड्रा से ईडी पहले भी धन शोधन के एक अन्य मामले में कई बार पूछताछ कर चुकी है। वर्तमान मामले में एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि जमीन खरीद-फरोख्त में कोई अवैध वित्तीय लेनदेन, फर्जी दस्तावेज या काले धन को सफेद करने का प्रयास तो नहीं हुआ।
🗳️ राजनीतिक पृष्ठभूमि का असर
रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं। वाड्रा का यह मामला ऐसे समय में तूल पकड़ रहा है जब देश में लोकसभा चुनाव 2024 की सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है, और विपक्ष लगातार केंद्र सरकार पर जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है।
📌 निष्कर्ष
रॉबर्ट वाड्रा की ईडी में पेशी ने एक बार फिर राजनीति और जांच एजेंसियों के रिश्ते पर बहस को तेज कर दिया है। जहां वाड्रा इसे राजनीतिक दबाव बता रहे हैं, वहीं जांच एजेंसी इस मामले में तथ्यों और साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई कर रही है। आने वाले दिनों में इस केस की जांच की दिशा और राजनीतिक प्रतिक्रिया दोनों पर देश की नजर बनी रहेगी।