मुंबई, 23 जुलाई, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान की अधीनस्थ अदालतों में न्यायिक कर्मचारियों के सामूहिक अवकाश पर चले जाने के कारण पिछले छह दिनों से न्यायिक कार्य पूरी तरह ठप पड़ा हुआ है। यह मामला बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट की जस्टिस अशोक कुमार जैन की अदालत में तब सामने आया जब एक डकैती मामले में सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता पक्ष ने निचली अदालत से दस्तावेज न मिलने की बात कही। कोर्ट ने इस पर संज्ञान लेते हुए ज्यूडिशियल रजिस्ट्रार से गुरुवार सुबह तक इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है। मामले की सुनवाई उस समय हो रही थी जब इबरा उर्फ इबरान ने डकैती के एक केस में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सात साल की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। सरकार की ओर से बताया गया कि आरोपी पर करीब 15 मामले दर्ज हैं। अपीलकर्ता के वकील जिया उर रहमान ने कहा कि इनमें से अधिकांश मामलों में वह बरी हो चुका है जबकि कुछ में ट्रायल जारी है। कोर्ट ने जब इन मामलों से संबंधित दस्तावेज क्यों नहीं लगाए गए, यह पूछा तो वकील ने बताया कि निचली अदालतों के न्यायिक कर्मचारी हड़ताल पर हैं, इसलिए सत्यापित प्रतियां उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं।
न्यायिक कर्मचारियों का कहना है कि वे राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी ने बताया कि यह मांग पिछले दो वर्षों से लंबित है। हाईकोर्ट की फुल बेंच ने 6 मई 2023 को इस संबंध में एक प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा था, लेकिन अब तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें प्रमोशन के पर्याप्त अवसर नहीं मिल पा रहे हैं जिससे आर्थिक नुकसान हो रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अन्य राज्य कर्मचारियों के कैडर का पुनर्गठन तो जल्द कर दिया गया, लेकिन न्यायिक कर्मचारियों के साथ सरकार भेदभाव कर रही है। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे काम पर नहीं लौटेंगे।